रेकी परिचय

रेकी वो तकनीक है  जिसके द्वारा तनाव कम होते हैं एवं मन को सुकून मिलता है. यह मूल रूप से जापानी तकनीक के स्वरुप में हमारे सामने आई है.वैसे यह हजारों वर्षों पहले की हाथ रख कर उपचार करने कि विद्या है। यह तकनीक अत्यंत सरल एवं शक्तिशाली है।

रेकी शब्द जापानी “कांजी” लिपि के  “रे” और “की” से मिलकर बना है।

ऊपर दिए गए चित्र  में “रे” ऊपर वाला अक्षर और “की” निचे वाला अक्षर है।  “रे” का अर्थ है “सर्व व्यापी”, ज्यादातर सभी ने इसी परिभाषा को स्वीकारा है. ये अर्थ काफी सामान्य है।  जापानी चित्राक्षरों या आकृतियों के बहुत ही गूढ़ अर्थ होते हैं। ऐसे ही “रे” का गूढ़ अर्थ है यथार्थ ज्ञान या पारलौकिक  चेतना . जो ईश्वर से या अंतर चेतना से आती है। जो सर्व शक्ति सम्पन्न है । ये प्रत्येक व्यक्ति को पूर्णतः समझती है और उनकी समस्याओं और कठिनाइयों को भी जानती है और ये भी जानती है की इनका उपचार कैसे किया  जाय।

इसी तरह “की” का अर्थ है प्राण  या जीवन शक्ति। विभिन्न संस्कृतियों  और धर्मों ने इसे अलग अलग नाम दिए हैं। संस्कृत में इसे  प्राण शक्ति कहा है। इन्ही अर्थों में “की” समस्त प्राणियों की जीवनी शक्ति है।  यह गैर शारीरिक ऊर्जा है जो सभी प्राणियों में व्याप्त है। इसके निर्माता हम स्वयं हैं अर्थात जैसी हमारी जीवन शैली होगी वैसी ही  ये ऊर्जा होगी। हमारे जीवित रहने तक ये हमें घेरे रहती है। मृत्यु के बाद यह ऊर्जा अनंत में विलीन हो जाती है। हमारी जीवन शैली के आधार पर इस ऊर्जा का निम्न या उच्च होना आधारित होता है।  निम्न ऊर्जा जिसे हम नकारात्मक ऊर्जा भी कह सकते हैं, अर्थात इस ऊर्जा के प्रवाह में अनेक अवरोध हैं। नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने पर प्राणी के रोगी होने की संभावना बन जाती जाती है। उच्च ऊर्जा अर्थात सकारात्मक उर्जा के प्रवाह से हम स्वस्थ और प्रसन्न रहते हैं.

इस तरह   हमारे जीवन में प्राणशक्ति अर्थात “रेकी” का बहुत महत्व है।